Journalism

Thursday 24 September 2015

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Wednesday 23 September 2015

स्तिथि अगर समाचार पन्नों के हेडलाइंस से समझी जाए तो थोड़ा आसान हो जाता है शहर को समझना : सिकेन शेखर



हमारे लिए यह भी जानना उतना ही जरुरी है कि क्या है ‘’स्मार्ट सिटी"? कौन शहर आ सकता है "स्मार्ट सिटी'' के लिस्ट में और कौन नही? क्या मेरठ में है वो सारी बातें जो "स्मार्ट सिटी" के सारे नियमें व शर्तों को पूरी करती है?  


आज का दिन मेरठ के लिए ऐतिहासिक कह दूँ  !! आपको सुन कर शायद कही अच्छा लगेगा मगर ऐतिहासिक के पीछे सारी वजहों का खुलासा  मैं करूंगा और निर्णय करेंगे आप  आपको याद होगा नरेंद्र मोदी जी ने 25 जुलाई को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बहुचर्चित ''स्मार्ट सिटी'' प्रोजेक्ट योजना लॉन्च की थी  इस योजना के अंतर्गत भारत के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाये जाने की योजना  हैयह सब इसलिए कि हर आदमी को आवास के साथ - साथ वो सभी सुविधाएँ मिल जायें जिससे हर-एक व्यक्ति इस देश को गर्व के साथ कहे ''मेरा भारत महान''  उसी वक्त यह भी साफ था कि स्मार्ट सिटी के लिस्ट में आने के लिए शहर में किस तरह  के  विकास की  जरुरत हैं ?


   हम सभी के लिए शायद हमारे शहर कोस्मार्ट सिटी’ के लिस्ट में ना आना दुःख की बात हो सकती है मगर हमारे लिए अपने शहर को स्मार्ट सिटी के योग्य बनाना भी  इस वक्त गर्व की बात होनी चाहिए आज बात कर रहा हूँ मेरठ की सिर्फ इसलिए क्योंकि  मेरठ की आवाज बन गई है ''मेरठ हो स्मार्ट सिटी''   इस वक्त मैं सबसे पहले बताना चाहूंगा मेरठ की स्तिथि  के बारे में और स्तिथि अगर समाचार पन्नों के हेडलाइंस से समझी जाए तो थोड़ा आसान हो जाता है शहर को समझना

 इस वक्त मेरे पास 22 सितम्बर 2015  के मेरठ शहर से प्रकाशित होने वाले तमाम समाचार पत्र है और ये समाचार पत्र अपने शहर को  बेहतर तरीके से दिखाते हैं, शहर के बारे में बेहतर तरीके से बताते हैं मगर यहाँ पर आपका यह भी सवाल हो सकता है कि एक दिन के समाचार पत्र दरअसल कितना एक शहर के बारे में बता सकता है ? तो इसका जबाब भी बेहद साफ है कि सिर्फ एक दिन का हाल बेहतर अंदाज से बता सकता है, बेहतर अंदाज से समझा सकता है यहाँ पर यह भी कहता चलूँ कि निर्णय आपके विचार पर होगा 

ये तमाम समाचार  पत्र मेरठ की बड़ी ख़बरों के तौर पर मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाने की मांग के लिए मेरठ शहर के हर उम्र के लोग जिस तरह से इस वक्त प्रदर्शन कर रहे है तो कुछ संस्था कैंपेन रहे हैं, देश के प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखें जा रहे हैं तो कही कॉलेजों से युवतियां भी इस आंदोलन के हिस्सा में शिरकत होते सीधे तौर पर देखी जा रही हैं यह सब इसलिए ताकि मेरठ की आवाज बुलंद हो सके  यह एक ऐसा वक्त है मेरठ के लिए जिससे सीधे तौर पर मेरठ की एक जुटता को समझा जा सकता है, बुलंद इरादों को समझा जा सकता है क्योंकि एक से एक समिति कह ले, छात्र - छात्राओं का संगठन कह ले, उधोग व्यापार के व्यवसायी कह ले या फिर एक दो शब्दों में शहर के हर वर्ग के लोग कह ले, सभी की आवाज और आवाजों की मांग ''मेरठ हो स्मार्ट सिटी'' मगर जैंसे ही अन्य पन्नों पर नजर डालते हैं तो मेरठ की दूसरी तस्वीर दिखती है और यह "स्मार्ट सिटी " को  चुनौती देती दिख रही है  जरा आप भी समझिए मेरठ की दूसरी तस्वीर को गांधी आश्रम चौराहे के पास सोमवार सुबह करीब 8 बजे स्कूल जा रही छात्रा का इंडिका कार सवार बदमाशों ने अपहरण कर लिया है  समाचार पन्नों के हेडलाइंस के सहारे आगे शहर को देखते हैं तो "घंटों बिजली कटौती से शहर में हाहाकार" दिख रहा है

जिज्ञासा और शहर को जानने के लिए इशारा कर रही है और जब आगे बढ़ते हैं तो दिखता है कि "सपा नेता निकला वाहन चोरों का सरगना" यह दरअसल मेरठ से प्रकाशित हुए समाचार पन्नों कि हेडलाइंस में पढ़ने को मिलती है मेरठ से बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी खबर मिल रही है जो शहर को उत्साह के रंग में डुबोएँ दिख रही है दिल को बेहद ख़ुशी का अनुभव हो रहा है लेकिन जब आगे नजर जाती है तो मन फिर से निराश हो जाता है चूकि आगे सुर्ख़ियों में लिखा है "बच्ची की मौत से दहशत में परिवार" तो आगे लिखा है "सास की हत्यारोपी बहू के परिजन दे रहे धमकी" आगे लिखा है ''डीआईजी ऑफिस के सामने युवती से लूटपाट'' और ऐसे ही आगे बढ़ते हैं तो यह भी पढ़ते है कि "बदमाश को सामने नहीं ला रही पुलिस" अन्य ख़बरों में "दरोगा के खिलाफ छात्रों का हंगामा'' दिखता है, आगे बढ़ते है तो एक खबर "सैकड़ों लोग शराब माफिया के विरोध में उतरे" हैं और इस खबर में खास तौर पर महिलाओं की संख्या ज्यादा है आगे अब ख़ास कर अपराध की ख़बरें पढ़ने की इच्छा नहीं कर रही है तो नजर आ कर रुक जा रही है होने वाले पंचायत चुनाव पर, तो विकास सम्बंधित हेडलाइंस पर


 दरअसल यह सब मेरठ की एक दिन की ख़बरें हैं इसी के आस पास आने वाले दिनों की ख़बरों का अनुमान मेरठ के लोगों के दिमाग में घर कर रखा है  अच्छी खबर तो हैं ही यहाँ से मगर निराश करती हुई खबरों की संख्या इतनी ज्यादा है कि अच्छी ख़बरों का आनंद कही दूर चला जाता है शहर की इस हालात के बाद भी मेरठ चाहता है ''स्मार्ट सिटी'' बनना

 मेरठ के हर वर्ग के लोग चाहते है कि किसी तरह मोदी जी के सहारे लॉन्च किये इस योजना का हिस्सा मेरठ भी बने और यही वजह है कि भारी संख्या में मेरठ वाले मोदी जी को पत्र लिखकर मेरठ की आवाज बुलंद कर साबित करते देखे जा रहे हैं मगर हमारे लिए यह भी जानना उतना ही जरुरी है कि क्या है ‘’स्मार्ट सिटी" ? कौन शहर आ सकता है "स्मार्ट सिटी'' के लिस्ट में और कौन नहीं? क्या मेरठ में है वो सारी बातें जो "स्मार्ट सिटी" के सारे नियम व शर्तों को पूरी करती है?  

चलिए जरा इसे जानते हैं : क्या है ''स्मार्ट सिटी'' ?

 ''स्मार्ट सिटी'' का नाम सुनते ही सबसे पहले  मन में यही ख्याल आता है कि आखिर ''स्मार्ट सिटी'' होती क्या है और ये देखने में कैसी होती है। वैसे तो ''स्मार्ट सिटी'' की कोई तय परिभाषा नहीं है क्यूंकि इसकी परिभाषा जरूरत के हिसाब से बदलती रहती है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है शहर में किस तरह के विकास की जरूरत है, लोगों का स्वभाव कैसा है और लोगों की अपेक्षाएं कैसी हैं।
''स्मार्ट सिटी'' के लिए सबसे जरूरी होता है इंफ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी ढांचा। किसी शहर को ''स्मार्ट सिटी'' बनाने के लिए बहुत बड़े स्तर पर प्लानिंग की जरूरत होती है। शहर में सबसे पहले बुनियादी जरूरतें जैसे सीवर लाइन, वाटर पाइपलाइन, गैस पाइपलाइन आदि का निर्माण करना होता है उसके बाद ही सड़कों और अन्य परिवहन सुविधाओं का विकास होता है। अभी ज्यादातर जगहों पर पहले सड़कें बनती हैं उसके बाद उन्हें खोदकर सीवर और पाइपलाइन डाली जाती है। ''स्मार्ट सिटी'' में इस बात का ख्याल रखना पड़ता है कि सभी डेवलपमेंट प्लानिंग के तहत हों। ''स्मार्ट सिटीज'' में सभी मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये पानी स्टोर करने की सुविधा होती है, सोलर एनर्जी आदि टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल करके वातावरण को ग्रीन और प्रदूषण से मुक्त रखा जाता है।
परिवहन के लिए बसों से लेकर मेट्रो तक की सुविधा शहर के हर कोने में प्रदान करने का प्रबंध किया जाता है। ट्रैफिक को स्मार्टली और कंप्यूटर के जरिये मेन्टेन किया जाता है। आटोमेटिक नंबर प्लेट पहचान की तकनीक का इस्तेमाल करके रेड लाइट पार करने वालों को पकड़ लिया जाता है। घरों में स्मार्ट मीटरिंग सिस्टम लगाए जाते हैं। ऐसे मीटर आपकी जरूरत के हिसाब से पानी का प्रबंधन करते हैं और जरूरत से अधिक पानी इस्तेमाल करने पर अलार्म के जरिये संकेत देते हैं। लीकेज की पहचान करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है और उन्हें एक स्थान पर बैठे बैठे सही कर दिया जाता है। सभी आवास इस तरह से बनाये जाते हैं कि कम जगह में भी लाखों लोग एक साथ रह सकते हैं। स्मार्ट शहर में इंडस्ट्रीज को रेजिडेंशियल इलाकों से अलग रखा जाता है। स्मार्ट शहर में रहने वाले लोगों के लिए रोजगार का प्रबंध किया जाता है। जरूरत के हिसाब से इंडस्ट्रीज लगाई जाती है। एक स्मार्ट शहर में रहने वाले लोगों को किसी और स्मार्ट शहर में रोजगार के लिए नहीं जाना पड़ता।
इसके अलावा शिक्षा का बढ़िया प्रबंध, पानी की उचित व्यवस्था, बिजली की पूरी व्यवस्था, साफ़ सफाई, परिवहन का बढ़िया प्रबंध, अच्छा प्रशासन, कंप्यूटर और आईटी सुविधाओं का उचित इस्तेमाल इस्तेमाल करके नगरिकों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करना, वातावरण को प्रदूषित होने से बचाना, नागरिकों की सुरक्षा का प्रबंध करना, गरीबों को उचित और सस्ते आवास उपलब्ध कराना, आदि ''स्मार्ट शहर'' की प्लानिंग का हिस्सा होते हैं।
कुल मिलकर एक स्मार्ट शहर, उसमे रहने वाले नागरिकों की सभी जरूरतें स्मार्ट तरीके से पूरा करता है। यहाँ तक की कृषि, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं का बेहतर प्रबंध किया जाता है। भारत में 100 शहर इसीलिए चुने गए हैं क्यूंकि इन 100 शहरों के बन जाने के बाद रोजगार के लिए महानगरों पर से दबाव कम होगा। युवाओं को रोजगार के लिए दिल्ली मुंबई और अन्य बड़े शहरों में भागना नहीं पड़ेगा। बड़े शहरों पर दबाब कम होने से अपराध कम होने शुरू हो जाएंगे। सभी शहरों का बढ़िया विकास होगा। लोगों को अपने आस पास के शहरों और राज्यों में रोजगार मिलेगा।
तो यह है ''स्मार्ट सिटी'' अब तो आप सब कुछ जान चूकें है कर लीजिए निर्णय और कर दीजिए बुलंद आवाज।

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