Journalism

Tuesday 16 February 2016

नाटक शकुंतला की अंगूठी को दर्शकों ने खूब सराहा

*पूनम चौधरी 

मेरठ। मेरठ-परतापुर बाईपास स्थित इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट में 14  फरवरी 2016 को शकुंतला की अंगूठी नाटक का मंचन बॉक्स ऑफिस में एक्टिंग विभाग द्वारा दोपहर 3:30 बजे बहुरंग थिएटर के तत्वाधान में किया गया। जिसमे एक्टिंग विभाग के छात्र-छात्रओं ने बहुत ही सधा हुआ अभिनय किया। जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सिटी वोकेशनल के प्राधानाचार्य श्री प्रेम मेहता, आईएफटीआई के चेयरमैन श्री राकेश प्रकाश अग्रवाल, बीआईटी ग्लोबल स्कूल के वाईस चेयरपर्सन श्रीमती माला अग्रवाल, आईएफटीआई के निदेशक श्री संदीप कुमार रायजादा, बीआईटी ग्लोबल स्कूल के ट्रस्टी श्रीमती शिखा अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

यह नाटक लेखक 'सुरेन्द्र वर्मा' द्वारा लिखा गया है। नाटक का निर्देशन संदीप महाजन एवं सहायक निर्देशन विवेक सिद्धार्थ, आर्यन राणा व् कार्तिक गुप्ता ने किया।
 इस कहानी की शुरुआत रिहर्सल रूम से होती है। जिसमे एक अपरिप्कव समूह के द्वारा कालिदास द्वारा रचित  नाटक 'अभिज्ञान शकुंतलम्' की रिहर्सल की जा रही है। जिसमे नाटक के निर्देशक 'कुमार' नामक चरित्र को इसकी नायिका 'शकुंतला' से प्रेम हो जाता है। इस नाटक में दर्शाया गया है कि अपरिप्कव समूह के साथ कार्य को कैसे समायोजित किया जाता है। इस कहानी के निर्देशक को अमेरिका में फ़ेलोशिप मिलती है, तो वह नायिका के प्रति अपनी भावना को अनदेखा  करते हुए अमेरिका जाने की तैयारी शुरू कर देता है। कुमार का  रवैया देखकर नायिका उसे छोड़ देती है।

इसके बाद सुदर्शन जो की नाटक में 'फिशर मैन' की छोटी सी भूमिका में है वह कनक 'शकुंतला' को प्रपोज़ करता है किन्तु शकुंतला असमंजस्य में है कि क्या करे।  नाटक में 'कुमार' की भूमिका में साज़िद खान, 'कनक' की भूमिका में शिवा अल्वी मैनेजर एवं नील की भूमिका में शिवम त्यागी, टाइगर की भूमिका में गौरव, निरंजन की भूमिका में आदर्श शर्मा, सुदर्शन की भूमिका में मोहमद शाहरुख, पंडित जी (ऋषब) की भूमिका में भोपाल सिंह, मनिंदर की भूमिका में हरदीप सिंह, सेठानी की भूमिका में निक्की रानी, छोटू और मज़दूर रहे आर्यन राणा, ट्रेनर और फादर की भूमिका में विवेक सिद्धार्थ ने किरदार को बख़ूबी निभाया। इस संवाद प्रधान कला क्षेत्र में यानि अभिनय के क्षेत्र में आँखें खोलने वाले एक्टिंग विभाग के छात्र-छात्राओं ने बहुत ही सधा हुआ काम किया है। जिसको दर्शकों ने खूब सराहा।

कार्यक्रम में आईएफटीआई के चेयरमैन राकेश प्रकाश अग्रवाल, बीआईटी ग्लोबल स्कूल के वाईस चेयरपर्सन श्रीमती माला अग्रवाल, बीआईटी ग्लोबल स्कूल के ट्रस्टी श्रीमती शिखा अग्रवाल, आईएफटीआई के निदेशक श्री संदीप कुमार रायजादा, बीआईटी ग्लोबल स्कूल के प्राधानाचार्या ज्योति सिरोही आदि मौजूद रहे। कार्यकर्म को सफल बनाने में आईएफटीआई के समस्त स्टाफ का विशेष योगदान रहा।  मंच संचालन  इशिका गुप्ता ने किया।

Monday 15 February 2016

'इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट' में 'फ्री करियर काउंसिलिंग प्रोग्राम' का आयोजन

''मौका  है मीडिया  को जानने  का''












नॉर्थ इंडिया के सबसे बड़े मीडिया इंस्टीट्यूट 'इंडियन फिल्म एंड टेलीविजनइंस्टीट्यूट' मेरठ के द्वारा 22 फरवरी से 27 फरवरी तक मीडिया क्षेत्र में करियर बनाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए फ्री करियर काउंसिलिंग का आयोजन। 

क्या आपके जिंदगी को एक मात्र मीडिया का क्षेत्र प्रभावित करता हैक्या आप मीडिया के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैऔर साथ ही क्या आपके पास मीडिया क्षेत्र के बारे में जानने के लिए बहुत सारे सवाल है?अगर ऐसा हैतो हो जाएं तैयार, क्योंकि नॉर्थ  इंडिया के सबसे बड़े मीडिया इंस्टीट्यूट 'इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूटमेरठ  आपके लिए ले कर रहा है 'फ्री करियर काउंसिलिंग प्रोग्रामजिसके तहत आप सीधे तौर पर मीडिया के तमाम कोर्स जैसे मास कम्युनिकेशनडरेक्शन एंड प्रोडक्शनएक्टिंग, साउंड रिकॉर्डिंगरेडियो जॉकीवीडिओ एडिटिंगन्यूज़ एंकरिंगसिंगिंगडांसिंगआदि कोर्सेज के बारे में आईएफटीआई के एक्सपर्ट करियर काउंसलर से जान सकेंगे 


'फ्री करियर काउंसिलिंग प्रोग्राम' में अपना नाम  रजिस्टर कराएं -


काउंसिलिंग सेशन 22 फरवरी से 27 फरवरी, समय सुबह 11 बजे से शाम के 04  बजे तक चलेगा  इस काउंसिलिंग में कोई भी शामिल हो सकता है अपनी सीट बुक कराने के लिए नीचे दिए गए पता  कांटेक्ट नंबर पर संपर्क करें। 

 
IFTI, NH-58, Ghat Institutional Area,

Partapur Bypass Road, Meerut

9639666333/ 9639777333

Email: info@ifti.in

www.ifti.in

Saturday 13 February 2016

Prem Mehta to be the Chief Guest of the Play ‘Shakuntala Ki Angoothi’


Principal of City Vocational Public School, Mr. Prem Mehta, will be attending the 13th edition of  Bahurang IFTI Theater Group’s play ‘Shakuntala Ki Angoothi’ as the Chief Guest of the Play.


The Play Organized by BAHURANG IFTI THEATER GROUP will be held on February 14, 2016. Mr. Sandeep Kumar Raizada, the Director of Indian Film & Television Institute, Meerut said today. It is a proud moment for the IFTI family that Mr. Prem Mehta will be the Chief Guest of the Play ‘Shakuntala Ki Angoothi’.

अगर हमने आसान नाटक उठा लिया तो उसमें एज़ एन एक्टर हमारी ग्रो नही होगी : संदीप महाजन

 


नाटक 'शकुन्तला की अंगूठी' के निर्देशक संदीप महाजन के साथ सिकेन शेखर की खास बातचीत 
प्रस्तुत हैं चुनिंदा अंश -

सवाल : आखिर 'शकुन्तला की अंगूठी' नाटक को ही आपने क्यों चुना ? 

देखिये सबसे पहले तो मेरा ये कोशिश रहता है कि मैं बच्चों को जितना चैलेंज  दे सकता हूँ नाटक में, मैं उतना दूँ। और साथ ही साथ मैं उन नाटकों को छूने की कोशिश करूँ, जिनसे एज़ एन एक्टर उनको बहुत कुछ सिखने को मिले। इसलिए मैंने ज्यादातर कोशिश ये करी है कि मैं टफ़ से टफ नाटक दूँ। जिसमे उनकी लैंग्वेज स्किल्स को लेकर उन्हें बहुत कुछ सिखने को मिले, जैसे- डिक्शन के लेवल तक और जहां पर अंडरस्टैंडिंग के लेवल पर उनको  बहुत डीप तक जाना पड़े। इसलिए मैंने आधे अधूरे, अषाढ़ का एक दिन या खामोश अदालत जारी है आदि नाटकों को पहले भी आईएफटीआई के प्लेटफार्म पर लिए है।   जिसमें टेक्स्ट बहुत हेवी है। अब हर बार मुझको प्ले चूज़ करना मेरे लिए यह एक चैलेंज सा रहता है कि हर बार मैं ऐसा प्ले कहां से लाऊं। और साथ ही साथ उतने किरदारों के साथ जितने किरदार मेरे पास है। हुआ ऐसा कि जब मैंने दो-तीन नाटक सजेस्ट किए तो एक लड़का है शिवम उसने मुझे कहा कि सर दादा जी कह रहे थे अभिज्ञान शकुंतलम् कर। मैंने कहा ठीक है।  हमने अभिज्ञान शकुंतलम् पढ़ा, साथ ही साथ अभिज्ञान शकुंतलम्  से रिलेटेड बहुत से नाटक पढ़े, जिसमें एक था 'शकुन्तला की अंगूठी'। यहाँ तक हमारा सफर तय हुआ और मुझे पता चला कि 'शकुन्तला की अंगूठी' कितना टफ है। तो इसलिए उसमे सब चीजें थी जो एज़ एन एक्टर आपको चैलेंज करती है। मुझे इस बात का कभी डर नही रहता कि वह कैसा होगा ? कैसा नही होगा ? क्योंकि मुझे लगता है कि अगर हमने आसान नाटक उठा लिया तो उसमें एज़ एन एक्टर हमारी ग्रो नही होगी। यही कारण  है कि 'शकुन्तला की अंगूठी' नाटक को इस बार हमने चुना।

सवाल : भूमंडलीकरण के दौर में प्ले डायरेक्टर के तौर पर रंगमंच से कितना चैलेंजिंग होता किसी ज्वलंत मुद्दे को ऑडिएंस तक पहुंचाना ?
   
एज़ एन डायरेक्टर बड़ा चैलेंजिंग होता है नाटक के उदेश्य को ऑडिएंस तक पहुंचाना। अगर आप ध्यान से इन नाटकों को देखें और समझें तो जो बात आज के ज़माने में हम बहुत सीधे-सीधे कह रहे है। वह बात बहुत इनडायरेक्टली कह देती है। ज्यादा समझ के साथ आपको सोचने पर मजबूर कर देती है। 'अंधा युग' में कलयुग की बात हो रही होती है। कलयुग ऐसा आएगा कि अंधे राज करेंगे। तो आज के ज़माने में सिनेरियो यही है कि अंधे ही राज कर रहे है। हालांकि मैं किसी राजनीतिक पार्टी का नाम नही लूंगा। यह इशारा काफी है। यहाँ पर हमने अषाढ़ का एक दिन नाट्य की मंचन किया था। उसमे भी बहुत सारी चीजें है जो आज के दिन में लागु होता है। तो हमको यह सोच कर बड़ी हैरानी होती है कि उस टाइम के राइटर की सोच कितनी एडवांस थी।  यह बात आज भी उतनी ही सच है जितनी उस ज़माने में थी। आप उस पुराने नाटकों में जाएं तो आप चौंक जायेंगे।
या, मैं आपसे कहूं कि गुरु दत्त की फिल्में उठा कर देखेंगे तो आप यह सोचेंगे कि उस वक्त तो सिनेमा ने तो बस जन्म लिया था। गुरु दत्त ने ओवरटेक ले लिए थे जो आज के ज़माने में लेने मुश्किल है।

सवाल : तकनीक के विकास के कारण रंगमंच के स्टाइल में बहुत परिवर्तन आया है ? रंगमंच की चाल और तैयारी को दरअसल समझना चाहते है ?

देखिये तेजी से बदल रही दनिया में समय  के साथ रंगमंच  में भी बदलाव आया है और यह क्रम निरंतर चलता रहेगा। समय के साथ रंगमंच में गीत, संगीत, पेंटिंग जुड़ी। फिर लाइट और साउंड जैसी तकनीक भी जुड़ी। भूमंडलीकरण के दौर में रंगमंच के समक्ष आ रही चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए रंगमंच में यह क्षमता है कि वो अलग-अलग कलाओं को अपने में जोड़कर आगे बढ़ता रहेगा है।  

सवाल : आप बहुरंग आईएफटीआई के रंगमंच से बेहद लम्बे वक्त से जुड़े रहे है कितना खास है, यह आपके लिए ?

देखिये आईएफटीआई के प्लेटफॉर्म पर मुझे पूरी फ्रीडम रहती है नाटक चुनने की और मुझे लगता है कि इससे बेहद कोई खास चीज़ किसी रंगमंच के निर्देशक के लिए नही हो सकता।

सवाल : आपके फैंस यह जानना चाहते हैं कि जैसे-जैसे आपके द्वारा निर्देशित नाटकों की संख्या बढ़ती है, आप अपने अनुभव में से वैसे- वैसे उस संख्या को कम करते जाते है ?

क्योंकि मैं हमेशा अपने द्वारा किये कार्य से युवा दिखना चाहता हूँ। (मुस्कुराते हुए )


    

Wednesday 10 February 2016

इशिका करेंगी बहुरंग आईएफटीआई थिएटर ग्रुप की नाट्य प्रस्तुति "शकुन्तला की अंगूठी" का मंच संचालन



14 फरवरी को होने वाले बहुरंग आईएफटीआई थिएटर ग्रुप की नाट्य प्रस्तुति "शकुन्तला की अंगूठी" का मंच संचालन पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग, इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट की छात्रा इशिका गुप्ता करेंगी।


 इशिका पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग की बीएससी. मास कम्युनिकेशन की दुतीय वर्ष की छात्रा है। इशिका इसके पहले टेलीविज़न रियलिटी शो स्टार ऑफ़ द सिटी और वंडर मॉम में बतौर एंकर काम कर चुकी की है। इशिका आईएफटीआई की ऐसी छात्रा है जिसने कम समय में ही इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट में कई अहम मौके पर एक सफल एंकर के तौर पर खुद को साबित किया है। आईएफटीआई के निदेशक संदीप कुमार रायजादा ने इशिका गुप्ता को  मंच संचालन की अहम ज़िम्मेदारी देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

इन सब के बीच अब से पहले हुए शानदार बहुरंग आईएफटीआई थिएटर ग्रुप की प्रस्तुति 'गधे की बारात', 'आधे अधूरे', 'बड़े भाईसाहब', 'ख़ामोश अदालत जारी है', 'अषाढ़ का एक दिन', 'गिल्टी या नॉट गिल्टी', 'अंधा युग', 'पंच परमेश्वर', 'तेरे मेरे सपने', 'सैंया भये कोतवाल', 'कोर्ट मार्शल', 'चुकाएंगे नहीं', के साथ इस लिस्ट में 'शकुन्तला की अंगूठी' भी दर्ज हो जाएगी।

और आखिर में चलिए जानते है, इशिका गुप्ता क्या कुछ कहती है "शकुन्तला की अंगूठी" नाट्य पस्तुति को लेकर - "मैं इस बार "शकुन्तला की अंगूठी" नाटक का मंच संचालन कर रही हूँ और इसके लिए मैं बेहद उत्साहित हूँ। साथ ही मैं "शकुन्तला की अंगूठी" नाटक को देखने के लिए भी उत्सुक हूँ। मैं आप सभी को तहे दिल से आमंत्रित करती हूँ कि आप अपनी जीवन के कीमती वक्त में से कुछ पल निकाल कर आये और कला की उम्दा प्रस्तुति का आनंद उठाये" 

Monday 8 February 2016

इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट में नाटक देखना बेहद खुशियों से भरा पल होता है- प्रेम मेहता

प्रेम मेहता
प्रधानाचार्य, सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल, मेरठ
 
आई.एफ.टी.आई (इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट) मेरठ में एक मात्र ऐसी जगह है, जहां पर इस तरह की नाट्य का मंचन खास तौर पर देखने को मिलता है। एक बार की बात है "गिल्टी या नॉट गिल्टी" का मंचन आई.एफ.टी.आई में किया गया था, मुझे उस नाटक को देखने के लिए आमंत्रित भी किया गया था और मैं गया भी था। तब मैंने प्रदीप जी से कहा था कि मेरी इच्छा है "अन्धा युग" नाटक को देखने की। जब अगली बार मुझे फिर से निमंत्रण मिला तो मालूम चला कि इस बार "अन्धा युग" नाटक का मंचन किया जा रहा है। मुझे बहुत ख़ुशी हुई यह बात जान कर क्योंकि मेरी इच्छा थी "अन्धा युग" नाटक देखने की। इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट मेरठ में नाटक देखना बेहद खुशियों से भरा पल होता है।
मीडिया इंस्टिट्यूट आईएफटीआई में मंचन हो रहे 'शकुन्तला की अंगूठी' नाट्य पर आई.एफ.टी.आई न्यूज़ से खास बात-चीत में सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल मेरठ के प्रधानाचार्य प्रेम मेहता ने अपनी बातें रखी

इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट में नाटक देखना बेहद खुशियों से भरा पल होता है- प्रेम मेहता

प्रेम मेहता
प्रधानाचार्य, सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल, मेरठ
 
आई.एफ.टी.आई (इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट) मेरठ में एक मात्र ऐसी जगह है, जहां पर इस तरह की नाट्य का मंचन खास तौर पर देखने को मिलता है। एक बार की बात है "गिल्टी या नॉट गिल्टी" का मंचन आई.एफ.टी.आई में किया गया था, मुझे उस नाटक को देखने के लिए आमंत्रित भी किया गया था और मैं गया भी था। तब मैंने प्रदीप जी से कहा था कि मेरी इच्छा है "अन्धा युग" नाटक को देखने की। जब अगली बार मुझे फिर से निमंत्रण मिला तो मालूम चला कि इस बार "अन्धा युग" नाटक का मंचन किया जा रहा है। मुझे बहुत ख़ुशी हुई यह बात जान कर क्योंकि मेरी इच्छा थी "अन्धा युग" नाटक देखने की। इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट मेरठ में नाटक देखना बेहद खुशियों से भरा पल होता है।
मीडिया इंस्टिट्यूट आईएफटीआई में मंचन हो रहे 'शकुन्तला की अंगूठी' नाट्य पर आई.एफ.टी.आई न्यूज़ से खास बात-चीत में सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल मेरठ के प्रधानाचार्य प्रेम मेहता ने अपनी बातें रखी

Friday 5 February 2016

सांस्कृतिक पर्यावरण को उन्नत बनाने में आईएफटीआई की बड़ी भूमिका- प्रमोद कुमार पांडेय


मेरठ के सांस्कृतिक पर्यावरण को उन्नत बनाने में आईएफटीआई की बड़ी भूमिका है। यह होते रहना चाहिए - प्रमोद कुमार पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार और मास कम्युनिकेशन के प्रोफेसर 'प्रमोद कुमार पांडेय' ने मीडिया इंस्टिट्यूट आईएफटीआई में मंचन हो रहे 'शकुन्तला की अंगूठी' नाट्य पर सिकेन शेखर के फेसबुक पोस्ट पर कमेंट कर अपनी राय व्यक्त की।    



अगर आप कुछ भी इस नाटक से सम्बंधित कहना चाहते है तो अवश्य लिखें। 

Beyond The Third Eye: "बेटी की पुकार" मुझसे यह कह रही है कि सिकेन मेरी माँ से ये बातें कह दो जरा ......

Beyond The Third Eye: "बेटी की पुकार" मुझसे यह कह रही है कि सिकेन मेरी माँ से ये बातें कह दो जरा ......

Thursday 4 February 2016

"वैश्य जाती का गौरवमयी इतिहास" के लेखक ने आईएफटीआई के निदेशक को अपनी लिखी पुस्तक भेंट की

इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट के निदेशक संदीप कुमार रायजादा को अखिल भारतीय वैश्य महासभा के राष्ट्रीय महामन्त्री शान्ति सवरूप गुप्त अपनी लिखी पुस्तक "वैश्य जाती का गौरवमयी इतिहास" सप्रेम भेंट करते हुए।