Journalism

Saturday 16 April 2016

रंग बदलती दुनियाँ की सच्चाई - सागर शर्मा


सागर शर्मा

इस रंग बदलती दुनियाँ में सब कुछ बिकता है और सब खरीदा जाता है
जिसको चाहा हो चाहत से ज्यादा अक्सर वही तो रुलाता है , कहते थे जो हमारी परछाई खुद को , भूल गये हम यारो वक़्त आने पर साया भी साथ छोड़ जाता है ,
जरुरतों पर टिकी है दुनियाँ सारी , भाई जहाँ भाई के खून का प्यासा हो जाता है छोटी छोटी बातों पर घर टुकडों में बँट जाता है , रोज़ रोज़ के कलह से हर माँ का कलेजा मुँह को आता है लेकिन बेटा तो बेटा है उसको कहाँ कुछ समझ में आता है , पैसे की महिमा के आगे सब बौना हो जाता है , रिश्तों की अहमियत आज हर कोई भूलता ही जाता है , हद हो जाती है तब जब कहीँ बहू सास को नौकरानी तो कहीँ बेटा बूढे बाप को नौकर बताता है ,
कहीँ महबूबा के इंतजार में मर मिटता है आशिक और कहीँ आशिक बना कर वीडियो गर्लफ्रेंड का बाजार में सस्ते में बेच जाता है , कहीँ मारी जाती है बेटी दहेज की खातिर जिस बेटी की खातिर बाप किडनी तक बेच जाता है , सौदा हो गई है ये इश्क की बीमारी जहाँ हर कोई नया भाव लगाता है , रिश्तों के इस मकडजाल में फँस कर रह गया इंसान जहाँ , अपना ही अपनो को हवस का शिकार बनाता है , दामिनी को देंगे क्या इंसाफ ये दुनियाँ वाले जहाँ हर रोज़ एक लड़की का दामन नोंचा जाता है , माफ करना सागर ऐसे तो दिल मेरा भर आता है
हवा हो रही शिक्षा की महिमा जहाँ छात्र शिक्षक के लिये पैग बनाता है, शिक्षक और छात्र में देखा अजब कॉम्पिटिशन सागर , कौन सिगरेट के धुएँ का छल्ला बनाता है, देख गोलमाल ऐसा गला रुंध सा जाता हैं ,
जिम्मा जिन पर सुरक्षा का मुल्क की , अक्सर वो फौजी राजनीति की भेंट चढ़ जाता हैं , इजाजत मिलती नही फायर की लेकिन दुश्मन सर तक इनका ले जाता है, सब कुछ झुक गया गंदी राजनीति कदमो तले , जब सोते लोगों पर दिल्ली में लट्ठ चल जाता हैं ,
चुनाव आते ही सफेद बिरादरी से जग सारा सफेद सफेद हो जाता है , वादों से इनकी आम इंसान बस मंत्र मुग्ध हो जाता है , मिल गया बहुमत अगर बस काम इनका बन जाता है , वरना सांसद , विधायक खरीदने का खेल शुरू हो जाता है , बौनी हो गई संविधान की वेदी , सब सफेदपोशो को भेंट चढ़ जाता है , जब जब चला कोर्ट का चाबुक इन पर , बच निकलने का संसद में कानून नया बन जाता है , धरे रह गये एक्ट सारे जब नेता रंग में आता है
जान बचाने की खातिर जब मरीज बेचारा अस्पताल तक आता है , भगवान का दर्जा पाये डॉक्टर इंसानियत तक भूल जाता है , सौदा होता देख हॉस्पिटल में लाशों पर आँसू आँखों से सागर लुढक ही आता है , लगा कर ऑक्सिजन लाश पर मरीज की लाखों का चैक बन जाता है , हद हो जाती है तब जब एक नौसिखिया बेच बेच किडनी गरीबों की खुद किडनी किंग बन जाता है ,
कितना सच्चा हो या को कितना भी झूठा , कौन वकील किसको बचाता है , ये सब निर्भर है कितना भारी भुगतान कर पाता है , मर्यादा होती है तार तार जब कानून की देवी की आँखों पर पट्टी बँधी देख , हर कोई अंधा हो जाता है , अदालत के बहार होता है गवाहों का सौदा , जहा अदालत तमाम सबूतों और गवाहों की रोशनी मे फ़ैसला सुनाता है , एक बेगुनाह चढ़ता जब फाँसी पर घर में उसके सन्नाटा पसर जाता है , कुछ इस तरह उन सभी गवाहों और सबूतों की रौशनी में फाँसी पर उसका पूरा परिवार चढ़ जाता है , और अगले दिन एक नये केस के साथ वकील साहब अदालत में पेश हो जाता है ,
तार तार होती देखी गरिमा औरत की जब भँवर में भँवरी के मदेरना फँस जाता है , एक सीडी से पूरा राजस्थान हिल जाता है ,
खबरों की मारधाड़ में आम आदमी खो जाता है तरस आता है खुद पर जब यह तंत्र भी बिक जाता है , खबरों की आपाधापी में एक ऐंकर खुद को प्रधानमंत्री कह जाता है , औरों पर उठा उठा कर उँगली खुद का अस्तितिव ढूँढ नहीँ पाता है , लाज शर्म की बात कहाँ जब पैसा बाप बन जाता है
लिखने वाला कुछ भी लिख लें , पढ़ कर आप जैसा महानुभाव आगे बढ़ जाता है मगर मेरे यारो सागर का यहीं काम ख़त्म नही हो जाता है ,
इसलिये ही तो कहता है सागर
इस रंग बदलती दुनियाँ में सब कुछ बिकता है और सब खरीदा जाता है