शिखा धामा
जन संचार एवं पत्रकारिता विभाग
आइएफटीआइ, मेरठ
वर्तमान युवा पीढ़ी की भागदौड़ भरी ज़िंदगी को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, मानो उनकी ज़िंदगी की रफ़्तार बहुत तेज़ी से आगे भाग रही हो। आज के छात्र-छात्राओं में से कुछ के पास पढ़ने का समय नहीं है, तो कुछ का पढ़ने का मन नहीं होता है।
इसका एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है, आज का छात्र अपने पाठ्यक्रम की पुस्तकों के बोझ तले इतना दब चूका है कि वह चाहते हुए भी अन्य प्रकार की पुस्तकें जैसे- कहानी संग्रह, उपन्यास एवं साहित्य पुस्तकें आदि पढ़ने का समय नहीं निकाल पा रहा है।
कॉलेज की लाइब्रेरी में रखी पुस्तकों को देखकर ऐसा आभास होता है, मानो वो कहने का प्रयास कर रही हो कि कोई तो हमें भी पढ़ो हम तुम्हें अनेकों जानकारियों से अवगत करायेंगे।
हम में से अपनी रूचि की किसी भी बुक को चुना और पूरी पढ़ो बशर्ते तुम्हें कुछ नया, विश्वसनीय और रचनात्मक मिलेगा।